Bounce Rate in hindi

Bounce Rate क्या होता है और इसे कम कैसे करें

डिजिटल मार्केटिंग और वेब एनालिटिक्स की लगातार विकसित हो रही दुनिया में, उन मेट्रिक्स को समझना ज्यादा महत्वपूर्ण है जो आपकी वेबसाइट के परफॉरमेंस को आंकने में आपकी मदद करते हैं। ऐसा ही एक मीट्रिक जो आपके वेबसाइट यूजर के व्यवहार को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है वह है “बाउंस रेट” या “बाउंस रेश्यो”। 

क्या आप जानते है की बाउंस रेट क्या होता है, एग्जिट रेट क्या होते है इत्यादि | अगर नहीं तो घबराने की कोई जरुरत नहीं है , इस पोस्ट के जरिये हम ये जानेंगे कि बाउंस दर क्या है, इसको कैसे मापे, यह क्यों महत्वपूर्ण है और इसे कैसे सुधारें।

Bounce Rate क्या है? What is Bounce Rate in Hindi

बाउंस रेट एक महत्वपूर्ण SEO मीट्रिक है जो यह जानकारी प्रदान करता है कि आपका वेबसाइट यूजर आपकी वेबसाइट के साथ कैसे इंटरैक्ट करते हैं। यह विशेष रूप से उन यूजर के प्रतिशत को मापता है जो आपकी वेबसाइट के किसी पेज पर आते हैं और फिर आपकी साइट के किसी अन्य पेज पर नेविगेट किए बिना चले जाते हैं। दूसरे शब्दों में, यदि कोई आपकी वेबसाइट पर किसी एक पेज पर जाता है और फिर बाहर निकल जाता है, तो उस विज़िट को “बाउंस” माना जाता है।

उच्च बाउंस रेट ये दर्शाता है की आपका वेबसाइट विजिटर आपके लैंडिंग पेज और कंटेंट से खुश या एंगेज नहीं हो पा रहा है। इसका मतलब यह हो सकता है कि आपकी वेबसाइट का कंटेंट यूजर के इंटरेस्ट के हिसाब से नहीं है और इसीलिए वो वेबसाइट पेज से बाउंस हो रहे है, और यह एक मीट्रिक है जिसे हर ऑनलाइन बिज़नेस करने वाला वेक्ति कम करने का प्रयास करते हैं।

Bounce Rate calculate कैसे करें?

बाउंस रेट calculate करने के लिए सीधे सूत्र का उपयोग करके की जाती है:

Bounce Rate = (One Page Visit / Total Visit) × 100

Exit Rate क्या है? What is Exit Rate in Hindi

बाउंस रेट को बेहतर ढंग से समझने के लिए, इसे अन्य संबंधित मीट्रिक जिसे हिंदी में “एग्जिट रेट” या “बाहरी दर की दर” कहा जाता है, से अलग करना आवश्यक है। 

एग्जिट रेट हमेशा आपकी वेबसाइट के pages से कितने लोग एग्जिट हो रहे है वो मापता है | दूसरे शब्द में समझे तो एग्जिट रेट हरेक पेज का अलग होता है क्युकी ये पेज वाइज मैट्रिक्स है | 

आइये एग्जिट रेट को example से समझते है 

मान लीजिये आपके वेबसाइट के पेज है  A -> B ->C ->D है, पेज A पर 100 लोग विजिट करते है लेकिन पेज B पर 50 लोग ही आगे विजिट करते है, इसका मतलब ये हुआ की 100 लोग में से 50 पेज A से एग्जिट हो गए और 50 लोग पेज B पर गए , इसी तरह से पेज B से C पर 30 लोग ही विजिट करते है और D पर 10 लोग तो हर एक पेज का एग्जिट रेट अलग होगा 

आईये इसको फार्मूला से समझते है 

Exit Rate= (Total Exits from a Page / Total Visit)×100

ऊपर दिए गए फार्मूला के अनुसार 

पेज A  का एग्जिट रेट = (50/100)x 100 = 50% होगा 

पेज B का एग्जिट रेट = (20/50)x 100 = 40% होगा

पेज C का एग्जिट रेट = (20/30)x 100 = 67% होगा

Bounce Rate vs Exit Rate

बाउंस रेट:

  1. सिंगल पेज विज़िट का प्रतिशत मापता है।
  2. यह सिर्फ फोकस करता है यूजर के एंट्री पेज पर, जोकि ये बताता है की कितने लोग same पेज से बाहर चले गए
  3. ये आमतौर पर हमलोग इस्तेमाल करते है अपने लैंडिंग पेज और कंटेंट relevancy का परफॉरमेंस मूल्यांकन करने के लिए 

एग्जिट रेट:

  1. ये पेज ओरिएंटेड मैट्रिस है | किसी specific page से निकास का प्रतिशत मापता है।
  2. उन पृष्ठों की पहचान करने में मदद करता है जहां विज़िटरों द्वारा वेबसाइट से बाहर निकलने की अधिक संभावना होती है।

किसी वेबसाइट या पोस्ट पर बाउंस रेट क्यों बढ़ता है?

किसी वेबसाइट या किसी विशिष्ट पोस्ट पर बाउंस दर बढ़ने में कई कारक योगदान कर सकते हैं:

Irrelevant Content: यदि लैंडिंग पेज पर यूजर के मुताबिक जानकारी नहीं मिलता या उनके अपेक्षाओं को पूरा नहीं करते है, तो उनके तुरंत चले जाने की संभावना है, जिससे high bounce rate हो सकता है।

Slow Page Load Time: धीमी गति से लोड होने वाले पेज उपयोगकर्ताओं को निराश करते हैं और अक्सर उच्च बाउंस दर का कारण बनते हैं। आज विज़िटर यह अपेक्षा करते हैं कि वेबसाइटें शीघ्रता से लोड हो जाएँ, और यदि किसी पेज को खुलने में बहुत अधिक समय लगता है तो वे चले जा सकते हैं।

Poor Website Design: अव्यवस्थित या भ्रमित करने वाला वेबसाइट लेआउट आपके वेबसाइट users को आगे explore करने से रोक सकता है। 

Clear Call to Action का न होना: यदि आपके वेबसाइट विज़िटर को यह समझ में ही नहीं आ रहा की आगे क्या करना है या आपकी साइट पर कैसे नेविगेट करना है, तो वे आगे explore किए बिना ही चला जा सकता हैं।

External Links Opening in the Same Window:: यदि external लिंक एक ही ब्राउज़र विंडो में खुलते हैं, तो इससे विज़िटर आपकी साइट छोड़ सकते हैं, जिससे बाउंस दर बढ़ता है।

Mobile Responsiveness: अब लोग ज्यादातर चीजहे मोबाइल या टेबलेट पर ढूंढते है, ऐसे में एक non-responsive वेबसाइट जो विभिन्न स्क्रीनों के अनुकूल नहीं होती है, जिसके परिणामस्वरूप मोबाइल उपयोगकर्ताओं के बीच बाउंस दर अधिक हो सकती है।

Misleading Title or Meta Description: यदि किसी पोस्ट का title या Meta description आपके पोस्ट कंटेंट के मुताबिक नहीं है तो विज़िटर तुरंत बाहर निकल सकते हैं।

Technical Errors: अगर आपके वेबसाइट पर तकनीकी समस्याएँ है जैसे की 404 error या वेबसाइट डाउनटाइम तो ये हाई बाउंस रेट का कारण बन सकता हैं।

Bounce Rate को कम कैसे करें

अब जब हमने चर्चा कर ली है कि बाउंस दर क्या है और यह क्यों मायने रखती है, तो आइए अपनी वेबसाइट की बाउंस दर को कैसे कम करे ये जानते है:

Improve Content Quality: आपका पोस्ट कंटेंट relevant, engaging और well-structured होना चाहिए ताकि आपके वेबसाइट visitors को ज्यादा से ज्यादा जानकारी उनके प्रश्नों के अनुसार मिले ताकि आपके और पोस्ट पढ़ने के लिए encourage हो 

Optimize Page Load Speed: अपने वेबसाइट की पेज लोडिंग स्पीड को अच्छा करे ताकि यूजर आपके वेबसाइट में बार बार आये | आप अपने वेबसाइट लोडिंग स्पीड तो अच्छा करने के लिए images को ऑप्टिमाइज़ यानि कंप्रेस कर सकते है, कोड को ऑप्टिमाइज़ करे और content delivery networks (CDNs) का इस्तेमाल करे 

वेबसाइट डिज़ाइन को बेहतर बनाएं: अपने वेबसाइट को यूजर फ्रेंडली बनाये यानि की आपके वेबसाइट यूजर को एक पेज से दूसरे पेज पे नेविगेट करने पे कोई परेशानी न आये और वो easily इनफार्मेशन को ढूंढ पाए जो वो ढूंढ रहे है 

स्पष्ट कॉल टू एक्शन (CTA) बनाएं: अपने पृष्ठों पर ये शामिल करें की आगे क्या कदम उठाना है, दूसरे तरह से समझे तो अपने वेबसाइट यूजर को ये बताना की उसे आपके पेज पे आने के बाद करना क्या है।

External लिंक को नई विंडोज़ या टैब में खोलें: External वेबसाइटों से लिंक करते समय, लिंक को नई विंडोज़ या टैब में खोलने के लिए सेट करें, ताकि विज़िटर आपकी साइट को पूरी तरह से न छोड़ें। इसके लिए आप इस html कोड का इस्तेमाल कर सकते है ( <a href=”https://blogginginhindi.com” target=”_blank”>Blogging in Hindi</a>

Mobile Responsiveness सुनिश्चित करें: सुनिश्चित करें कि आपकी वेबसाइट रिस्पॉन्सिव है और विभिन्न उपकरणों, विशेषकर मोबाइल फोन पर अच्छी दिखे ।

Regularly Check for Technical Issues: अपने वेबसाइट पे कभी भी टेक्निकल इशू न आये जैसे की broken लिंक, 404 error इत्यादि| 

Use Engaging Media: अपने दर्शकों को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए वीडियो, चित्र और इंटरैक्टिव तत्वों को शामिल करें।

Improve Meta Descriptions: सुनिश्चित करें कि आपके मेटा विवरण आपके पृष्ठों की कंटेंट के मुताबिक हो | 

Segment Your Audience: अपने दर्शकों को समझें और उनके मुताबिक कंटेंट बनाएं जो उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं और रुचियों को पूरा करती हो।

Optimize Page Title: अपने पोस्ट पे यूजर को आकर्षित करने के लिए आकर्षक और पोस्ट के सम्बन्ध में ही title बनाएं।

Provide Internal Links: अपने वेबसाइट यूजर को आपकी साइट पर अन्य पेज पर जाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अपने कंटेंट में इंटरनल लिंक शामिल करें।

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